भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 19 मार्च 2025 को घोषणा की कि अगले छह महीनों में, यानी सितंबर 2025 तक, इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें पेट्रोल कारों के बराबर हो जाएंगी। यह बयान पर्यावरण के प्रति जागरूक लोगों और ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई में EV इतने सस्ते हो जाएंगे, या फिर इसके पीछे कोई और नीति छिपी है?
क्या बोले नितिन गडकरी?
19 मार्च 2025 को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि अगले छह महीनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें पेट्रोल और डीजल वाहनों के बराबर हों। इससे न सिर्फ प्रदूषण कम होगा, बल्कि लोगों का पैसा भी बचेगा।” उनका यह दावा भारत को 2030 तक ग्रीन मोबिलिटी की ओर ले जाने की सरकार की बड़ी योजना का हिस्सा माना जा रहा है।
कीमतें कैसे होंगी बराबर?
हालांकि, गडकरी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह कीमतों में कमी कैसे आएगी। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि EV की बैटरी और प्रोडक्शन लागत में कमी से यह संभव हो सकता है। लेकिन चर्चा यह भी है कि सरकार पेट्रोल और डीजल गाड़ियों पर टैक्स बढ़ाकर इस बराबरी को हासिल कर सकती है। ऑटो इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक, अगर पेट्रोल कारों की कीमतें बढ़ती हैं, तो EV अपने आप सस्ते लगने लगेंगे। यह बात अभी बहस का विषय बनी हुई है।
भारत में EV का मौजूदा हाल
फिलहाल, भारत में इलेक्ट्रिक कारों की कीमत पेट्रोल कारों से काफी ज्यादा है। उदाहरण के लिए, टाटा नेक्सन EV की कीमत लगभग 14-20 लाख रुपये के बीच है, जबकि इसी रेंज की पेट्रोल SUV 10-15 लाख रुपये में मिल जाती है। सरकार पहले से ही EV पर सब्सिडी दे रही है, लेकिन कीमतों में यह बड़ा बदलाव एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है।
लोगों की उम्मीदें और चुनौतियां
इस खबर से जहां कई लोग खुश हैं, वहीं कुछ सवाल भी उठ रहे हैं। चार्जिंग स्टेशनों की कमी, बैटरी की लागत, और EV की रेंज जैसी समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं। अगर सरकार सचमुच कीमतें बराबर करने में कामयाब होती है, तो यह भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को कई गुना बढ़ा सकता है।
सोर्स और तारीख
यह खबर 19 मार्च 2025 को नितिन गडकरी के आधिकारिक बयान पर आधारित है, जिसे कई प्रमुख समाचार एजेंसियों ने कवर किया। इसका उल्लेख हिंदुस्तान टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे अखबारों की 20 मार्च 2025 की रिपोर्ट्स में भी मिलता है।
निष्कर्ष
अगर यह योजना सफल होती है, तो सितंबर 2025 तक भारत की सड़कों पर इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या में बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है। लेकिन इसके लिए सरकार को सिर्फ कीमतें घटाने या बढ़ाने से आगे बढ़कर इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी काम करना होगा। आप इस बदलाव को लेकर क्या सोचते हैं—क्या यह वाकई प्रदूषण कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा?