चंद्रयान 3 : रूस को सीधा मुकाबला देते हुए एक बार फिर चन्द्रमा की ओर भारत की उड़ान निर्धारित
चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग 22 जुलाई 2019 को हुई थी परन्तु जीपीएस नेविगेशन सिस्टम की खराबी के कारण चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, पर अब टेक्नोलॉजी में लगातार इम्प्रूवमेंट करते हुए, भारत 1 बार फिर चंद्रयान 3 को प्रक्षेपित करने के बेहद करीब है l
इसरो द्वारा एक न्यूज़ एजेंसी को दी गयी जानकारी के अनुसार चंद्रयान 3 का प्रक्षेपण मिशन इसी साल जुलाई महीने में निर्धारित किया गया है l चंद्रयान 3 का मुख्य उद्देश्य इसके घूमने की क्षमता और चंद्रमा के दक्षिण भाग में सॉफ्ट लैंडिंग है l आपको ये भी बताते चलें कि चंद्रयान 3 का मुकाबला रूस के लूना 25 से भी माना जा रहा है, रूस लूना 25 को इसी साल 13 जुलाई प्रक्षेपित करने की तैयारी में है l
क्या अलग है चंद्रयान 3 में ?
मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए लैंडर में कई उन्नत प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं जैसे : लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर, लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा, Laser Gyro Based Inertial Reference and Accelerometer Package, 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटिट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स, 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटिट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन आदि l
चंद्रयान 3 में एक स्वदेशी मॉड्यूल ML और प्रोपल्शन मॉड्यूल PM शामिल हैं, जिसका उद्देश्य अंतर ग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को विकसित और प्रदर्शित करना है।
चंद्रयान 3 का रोवर पेलोड, लैंडिंग साइट के आसपास मौलिक संरचना प्राप्त करने लिए अल्फा कण एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर और लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन Spectroscope पर काम करेगा, वही इस बार चंद्रयान 3 में चंद्रयान 2 की तरह ऑरविट का प्रोयग नही किया जाएगा l
चंद्रयान 3 में मौजूद लेंडर पेलोड का इस्तमाल चंद्रमा पर तापीय चालकता और तापमान को मापने के लिए और चंद्रमा के सरफेस पर भूकंपीय गतिविधि मापने के लिए होगा ।