सावधान! डिजिटल अरेस्ट से कैसे लूट रहे हैं ठग, जानें बचाव के तरीके

by eMag360

आज के डिजिटल युग में जहां तकनीक ने जिंदगी को आसान बनाया है, वहीं साइबर अपराधियों ने भी अपने तरीके को और शातिर बना लिया है। इनमें से एक नया और खतरनाक हथकंडा है “डिजिटल अरेस्ट”। यह कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक धोखाधड़ी का तरीका है जिसके जरिए साइबर ठग लोगों को डराकर उनकी मेहनत की कमाई लूट लेते हैं। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि डिजिटल अरेस्ट क्या है, यह कैसे काम करता है और इससे बचने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं।

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट कानून की किताब में मौजूद कोई शब्द या प्रक्रिया नहीं है। यह साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक छलावा है जिसमें वे खुद को पुलिस, सीबीआई, ईडी या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर लोगों को फोन कॉल, वीडियो कॉल या मैसेज के जरिए डराते हैं। वे पीड़ित को बताते हैं कि उसका नाम किसी बड़े अपराध जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स तस्करी या फर्जी लेनदेन में शामिल है और उसे तुरंत “डिजिटल अरेस्ट” में लिया जा रहा है।

इस धोखाधड़ी में ठग पीड़ित को यह विश्वास दिलाते हैं कि वह घर से बाहर नहीं निकल सकता, किसी से बात नहीं कर सकता और मामले को सुलझाने के लिए पैसे ट्रांसफर करने होंगे। कई बार वे वीडियो कॉल पर पुलिस स्टेशन जैसा बैकग्राउंड दिखाते हैं या फर्जी दस्तावेज भेजते हैं ताकि पीड़ित उनकी बातों पर यकीन कर ले। इसका मकसद पीड़ित को इतना डराना होता है कि वह बिना सोचे-समझे ठगों की मांग पूरी कर दे।

डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है?

डिजिटल अरेस्ट का तरीका बेहद सुनियोजित और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावी होता है। यह आमतौर पर निम्नलिखित चरणों में किया जाता है:

  1. संपर्क शुरू करना: ठग पीड़ित को व्हाट्सएप, फोन कॉल या वीडियो कॉल के जरिए संपर्क करते हैं। वे खुद को सरकारी अधिकारी बताते हैं और गंभीर स्वर में बात करते हैं।
  2. झूठा आरोप लगाना: पीड़ित पर मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स या किसी अवैध गतिविधि में शामिल होने का आरोप लगाया जाता है। कई बार वे कहते हैं कि आपके पार्सल में ड्रग्स पकड़ी गई है या बैंक खाते से संदिग्ध लेनदेन हुआ है।
  3. डर पैदा करना: ठग पीड़ित को बताते हैं कि वह “डिजिटल अरेस्ट” में है, यानी उसे घर में ही कैद रहना होगा और अगर उसने सहयोग नहीं किया तो उसे जेल भेज दिया जाएगा।
  4. पैसे की मांग: मामले को “सुलझाने” या “जमानत” के नाम पर ठग पीड़ित से बैंक ट्रांसफर, UPI या अन्य तरीकों से पैसे मांगते हैं। वे लगातार दबाव बनाए रखते हैं ताकि पीड़ित सोचने का मौका न पाए।
  5. गायब हो जाना: पैसे मिलते ही ठग संपर्क तोड़ देते हैं और पीड़ित को ठगा हुआ छोड़ जाते हैं।

डिजिटल अरेस्ट के कुछ वास्तविक मामले

  • दिल्ली-एनसीआर: पिछले कुछ महीनों में दिल्ली-एनसीआर में 600 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें 400 करोड़ रुपये की ठगी हुई।
  • मध्य प्रदेश: हाल ही में मध्य प्रदेश पुलिस ने एक बिजनेसमैन को इस स्कैम से बचाया, जिसे ठगों ने वीडियो कॉल पर 8 घंटे तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखा था।
  • प्रधानमंत्री की चेतावनी: पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस बढ़ते खतरे के बारे में लोगों को आगाह किया और इससे बचने के लिए जागरूकता फैलाने की बात कही।

डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय

इस तरह की ठगी से बचने के लिए जागरूकता और सावधानी सबसे बड़ा हथियार है। नीचे कुछ प्रभावी उपाय दिए गए हैं:

  1. अज्ञात कॉल से सावधान रहें: अगर कोई अज्ञात नंबर से कॉल करके खुद को अधिकारी बताए और डराने की कोशिश करे, तो तुरंत कॉल काट दें। असली सरकारी एजेंसी कभी भी व्हाट्सएप या वीडियो कॉल से पूछताछ नहीं करती।
  2. दस्तावेजों की जांच करें: अगर कोई दस्तावेज या नोटिस भेजता है, तो उसकी सत्यता जांचें। असली नोटिस हमेशा लिखित रूप में और आधिकारिक चैनल से आती है।
  3. पैसे ट्रांसफर न करें: कोई भी अधिकारी या एजेंसी फोन पर पैसे मांगने का हक नहीं रखती। ऐसे किसी भी दबाव में न आएं।
  4. परिवार या पुलिस से संपर्क करें: अगर आपको लगता है कि आप इस जाल में फंस गए हैं, तो तुरंत अपने परिवार या नजदीकी पुलिस स्टेशन से संपर्क करें।
  5. साइबर हेल्पलाइन का इस्तेमाल करें: भारत में साइबर अपराध की शिकायत के लिए 1930 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट दर्ज करें।
  6. जागरूकता फैलाएं: अपने बुजुर्गों और दोस्तों को इस स्कैम के बारे में बताएं, क्योंकि बुजुर्ग इस तरह की ठगी के आसान शिकार बनते हैं।
  7. डरें नहीं, सोचें: ठगों का सबसे बड़ा हथियार डर है। शांत रहकर स्थिति का आकलन करें और जल्दबाजी में कोई कदम न उठाएं।

डिजिटल अरेस्ट से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • यह स्कैम खास तौर पर उन लोगों को निशाना बनाता है जो कानून का सम्मान करते हैं और डर जाते हैं।
  • 2024 में जनवरी से अप्रैल तक इस स्कैम के जरिए 120 करोड़ रुपये की ठगी हुई।
  • ठग अक्सर पीड़ित को वीडियो कॉल पर लंबे समय तक बांधे रखते हैं ताकि वह किसी से मदद न मांग सके।

निष्कर्ष

डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध का एक नया और खतरनाक रूप है जो तेजी से फैल रहा है। यह न केवल आपकी आर्थिक हानि करता है, बल्कि मानसिक तनाव भी पैदा करता है। इससे बचने का सबसे आसान तरीका है कि आप जागरूक रहें, अज्ञात कॉल्स पर भरोसा न करें और किसी भी संदिग्ध स्थिति में पुलिस की मदद लें। तकनीक का सही इस्तेमाल आपको सुरक्षित रख सकता है, इसलिए सतर्क रहें और सुरक्षित रहें।

Related Articles

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Privacy & Cookies Policy