जफ्फर एक्सप्रेस: बलूचिस्तान में ‘ट्रेन-टास्टिक’ हाइजैक पर पूरी खबर

by eMag360

पाकिस्तान में 11 मार्च 2025 को एक ऐसी घटना हुई कि जफ्फर एक्सप्रेस ट्रेन, जो क्वेटा से पेशावर की शांत यात्रा पर निकली थी, अचानक बलूचिस्तान के बोलन पास में ‘हाइजैक हॉरर शो’ बन गई। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने सोचा, “चलो, कुछ नया करते हैं—ट्रेन को ही अपना अड्डा बना लें!” और फिर क्या, रेलवे ट्रैक को बारूद से उड़ाया, ट्रेन पर रॉकेट लॉन्चर से हमला किया, और 440 यात्रियों को बंधक बना लिया। अब सोचिए, 9 डिब्बों वाली इस ट्रेन में लोग शायद चाय और समोसों के सपने देख रहे थे, और अचानक BLA ने कहा, “अब ड्रामा शुरू!”

BLA का ‘ट्रेन टिकट’ प्लान

BLA के आतंकियों ने भारी हथियारों के साथ ट्रेन को घेर लिया। खबरों के मुताबिक, उन्होंने रॉकेट लॉन्चर से हमला किया और ट्रैक को ऐसा उड़ाया कि ट्रेन वहीं रुक गई। उनका दावा था कि 100 से ज़्यादा सैनिक उनके कब्जे में हैं।

यात्रियों को तो समझ ही नहीं आया होगा कि क्या हो रहा है। कोई सोच रहा होगा, “मैं तो पेशावर में रिश्तेदार की शादी में जाना था, ये रॉकेट-वॉकेट का डांस कहाँ से आ गया?” BLA ने 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया— “हमारे राजनीतिक कैदियों को छोड़ो, वरना सबके टिकट कैंसिल!” लेकिन पाकिस्तानी सेना को ये स्क्रिप्ट मंज़ूर नहीं थी।

सेना का ‘हीरो बनने’ का ऑपरेशन

12 मार्च को सेना ने पूरा ज़ोर लगाया। पाकिस्तान एयर फोर्स (PAF), स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG), और फ्रंटियर कॉर्प्स की टीमें बोलन पास पहुँचीं। ऑपरेशन ऐसा था कि लगा कोई एक्शन फिल्म का क्लाइमेक्स चल रहा हो। सेना ने बताया कि उन्होंने 33 BLA आतंकियों को ढेर कर दिया—यानी आतंकियों का ‘ट्रेन पास’ रद्द! सेना का दावा था, “सारे बंधक छुड़ा लिए, मिशन सक्सेस!” लेकिन बाद में कुछ यात्रियों ने खुलासा किया, “अरे भाई, BLA ने हमें पहले ही छोड़ दिया था, सेना तो बस फाइनल सीन में एंट्री लेने आई!” अब ये सुनकर तो लगता है कि सेना ने थोड़ा ज़्यादा क्रेडिट ले लिया—जैसे कोई कहे, “मैंने बारिश रोकी!” पर बादल तो पहले ही छँट चुके थे।

दुखद नुकसान और आंकड़ों का खेल

इस पूरे ड्रामे में दुखद सच ये है कि 21 यात्री और 4 सैनिक मारे गए। सेना ने कहा कि ऑपरेशन में सिर्फ आतंकी ढेर हुए, लेकिन यात्रियों की मौत की खबर ने माहौल गमगीन कर दिया। BLA ने 100 सैनिकों के बंधक होने का दावा किया था, पर सेना ने कहा, “नहीं, सब ठीक है!” फिर खबरें आईं कि कुछ बंधकों को BLA ने खुद छोड़ दिया था। अब ये आंकड़े ऐसे हैं जैसे कोई कहे, “मेरे पास 50 रुपये थे, 20 खर्च किए, पर 40 बचे!” सच क्या है, ये तो शायद बोलन पास के पत्थर ही बता सकें।

PM का दौरा और बयानबाज़ी

13 मार्च को प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ बलूचिस्तान पहुँचे। उन्होंने कहा, “ऐसी कायराना हरकतें हमें शांति की राह से नहीं रोक सकतीं!” बयान तो जोरदार था, लेकिन जनता के मन में सवाल उठा, “साहब, ट्रेन की सिक्योरिटी का इंतज़ाम पहले क्यों नहीं हुआ?” उधर, BLA ने ऑपरेशन को नाकाम बताया और कहा, “हमारी लड़ाई जारी रहेगी!” तो ये ड्रामा अभी खत्म नहीं हुआ—लगता है अगला पार्ट आने वाला है। बलूचिस्तान में तनाव बढ़ गया है, और लोग अब ट्रेन की बजाय बस लेने की सोच रहे हैं।

BLA का पुराना ‘ट्रेन-इंग’ रिकॉर्ड

वैसे, ये BLA का पहला स्टंट नहीं था। पहले भी वो रेलवे ट्रैक उड़ाने और सैन्य ठिकानों पर हमले करने में माहिर रहे हैं। लेकिन पूरी ट्रेन हाइजैक करके बंधक बनाना? ये तो उनका ‘ग्रैंड मास्टर प्लान’ था। खबरों के मुताबिक, इस हमले का मकसद सरकार पर दबाव डालना था, ताकि उनके कैदियों को रिहा किया जाए। पर सेना ने उनके इस ‘ट्रेन-इंग प्रोग्राम’ पर ऐसा ब्रेक लगाया कि BLA को सोचना पड़ा, “अगली बार बस या रिक्शा ट्राई करें क्या?” बलूचिस्तान में ये तनाव कोई नई बात नहीं, पर इस बार स्केल बड़ा था।

तो ये थी जफ्फर एक्सप्रेस की पूरी कहानी—11 मार्च को हाइजैक, 12 मार्च को ऑपरेशन, और 13 मार्च को PM का दौरा। BLA को लगा था कि वो ट्रेन को अपना ‘मोबाइल ऑफिस’ बना लेंगे, पर सेना ने कहा, “नहीं भाई, ये रूट बंद!” 33 आतंकी ढेर हुए, 21 यात्री और 4 सैनिकों की जान गई—ये आंकड़े मज़ाक नहीं, बल्कि कड़वी सच्चाई हैं। अब लोग पूछ रहे हैं, “अगली ट्रेन का टिकट बुक करें या नहीं?” मज़ाक अलग, ये घटना बलूचिस्तान की अशांति को दिखाती है, और शांति की राह अभी लंबी और टेढ़ी है।

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