कोहिनूर से भूतनी तक: भारत के 5 ऐसे फिल्मी रहस्य जो आपकी दादी भी नहीं बताएंगी

by eMag360

नमस्ते दोस्तों! आपकी दादी ने आपको आलू के पराठे की रेसिपी तो ज़रूर सिखाई होगी, लेकिन भारत के कुछ ऐसे सीक्रेट्स हैं जो उनके पास भी नहीं पहुँचे। आज हम 5 ऐसे रहस्य खोलने जा रहे हैं जो इतने मज़ेदार और फिल्मी हैं कि बॉलीवुड भी शरमा जाए। तो चाय का कप ले आइए, पापड़ का पैकेट खोलिए, और तैयार हो जाइए – क्यूँकि ये सफ़र थोड़ा लंबा, थोड़ा मस्ती भरा, और बिल्कुल ड्रामा से भरा होने वाला है!


1. कोहिनूर का श्राप – या बस ड्रामा?

कोहिनूर हीरा – वही जो अभी भी ब्रिटिश ताज में बैठा हमें ताने मार रहा है। कहते हैं इस पर श्राप है – जो भी इसका मालिक बना, उसकी ज़िंदगी में भूचाल आ गया। मुग़ल, सिख, और अंग्रेज़ सब इसके पीछे पड़े, लेकिन क्या आपको पता है? इसके असली मालिक रणजीत सिंह ने शायद जानबूझकर इसे छोड़ दिया था। क्यों? क्यूँकि उन्हें एहसास हो गया था – “ये हीरा नहीं, सिरदर्द का गोला है!” कुछ लोग तो ये भी कहते हैं कि श्राप की बात बस ड्रामा थी, असल में सबकी नींद इसकी चमक की जलन से हराम हुई। आज भी इंडियंस ट्वीट करते हैं, “वापस दो भाई!” लेकिन लगता है Queen के पास दादी का जवाब तैयार है – “जो गया, सो गया।” वैसे, अगर कोहिनूर वापस आ भी जाए, तो क्या हम इसे म्यूज़ियम में रखेंगे या दादी के गहने बॉक्स में? आपका क्या ख्याल है?


2. ताजमहल का दूसरा चेहरा

ताजमहल को देखते ही लोग “वाह, प्यार!” चिल्लाते हैं, लेकिन ज़रा मस्ती वाली बात सुनो। कहते हैं शाहजहाँ ने इसके आर्किटेक्ट के हाथ कटवा दिए थे ताकि दूसरा ताज न बन सके। लेकिन सच क्या है? कुछ हिस्टोरियन्स कहते हैं ये अफवाह थी – असल में तो उनका बजट खत्म हो गया था! सोचो, शाहजहाँ व्हाट्सएप ग्रुप में लिखते, “भाई, पैसे खत्म, प्रोजेक्ट रुक गया।” और हाँ, एक थ्योरी ये भी है कि ताज के नीचे एक सीक्रेट बेसमेंट है। क्या छुपा है वहाँ? मुमताज़ का मसाला डिब्बा या शाहजहाँ का पुराना शेरवानी कलेक्शन? कुछ तो ऐसा है जो दादी की नज़रों से भी छुपा रहा। अगली बार ताज जाओ तो गाइड से पूछना, “भाई, बेसमेंट का टिकट कितने का है?” शायद वो कहे, “साहब, पहले ऊपर वाला तो देख लो!”


3. भूतों का रेलवे स्टेशन – बेगुनकोडोर का रहस्य

पश्चिम बंगाल में बेगुनकोडोर नाम का एक रेलवे स्टेशन है, जो सालों से बंद पड़ा है। क्यों? क्यूँकि लोग कहते हैं यहाँ भूत घूमते हैं! 1967 में एक स्टेशन मास्टर ने दावा किया कि उन्होंने रात को साड़ी वाली “आत्मा” देखी, और फिर वो गायब हो गए – शायद डर के मारे या भूतनी के साथ चाय पीने! मज़े की बात ये है कि लोकल्स का मानना है कि ये स्टेशन आज भी भूतों का अड्डा है, और वहां अजीब और रहस्यमयी आवाजें आती हैं। लेकिन साइंटिस्ट्स कहते हैं शायद ये बस जंगली जानवरों की आवाज़ें थीं। फिर भी, रेलवे ने इसे 2009 तक बंद रखा – क्यूँकि भूत हों या न हों, टिकट कौन काटेगा? अगली बार ट्रेन से जाओ तो खिड़की से झाँककर देखना – शायद भूतनी टिकट चेकर बनकर आए!


4. मसूरी का लापता टूरिस्ट – सच या स्क्रिप्ट?

मसूरी में एक अजीब किस्सा मशहूर है – 1930 में एक ब्रिटिश टूरिस्ट, जॉन लैंग, अचानक गायब हो गया। लोग कहते हैं वो पहाड़ों में खो गया, लेकिन कुछ लोकल्स का दावा है कि वो जंगल में “जादुई गुफा” ढूंढने गया था और फिर कभी नहीं लौटा। मज़ाक की बात ये है कि कुछ लोग कहते हैं शायद वो आज भी मसूरी में चाय की दुकान पर बैठा होगा, बस वाइफ को बताना भूल गया! हिस्टोरियन्स कहते हैं शायद वो भटक गया और ठंड में मर गया, लेकिन मसूरी वाले आज भी टूरिस्ट्स को डराने के लिए ये कहानी सुनाते हैं। तो अगली बार मसूरी जाओ तो अपने दोस्त को बोलना, “भाई, गुफा ढूंढने मत जाना, वरना दादी को क्या बताएँगे?”


5. जैसलमेर का सोनिक बूम – आसमान का ढोल?

राजस्थान के जैसलमेर में लोग अक्सर रात को आसमान से अजीब सी तेज़ आवाज़ सुनते हैं – जैसे कोई ढोल बजा रहा हो। साइंटिस्ट्स कहते हैं ये “सोनिक बूम” है – यानी हवाई जहाज़ की तेज़ स्पीड की वजह से। लेकिन लोकल्स का मानना है कि ये रेगिस्तान के जिन्नों का नाच है! मज़े की बात ये है कि कुछ टूरिस्ट्स ने तो रात को ढोल की आवाज़ रिकॉर्ड करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सिर्फ़ अपने पेट की गुरगुराहट मिली। सच क्या है? शायद विज्ञान और मस्ती का मिक्स। अगली बार जैसलमेर जाओ तो कान लगाकर सुनना – अगर ढोल बजे तो नाच लेना, वरना चाय पी लेना!


तो दोस्तों, ये थे भारत के वो 5 सीक्रेट्स जो इतिहास की किताबों में भी धूल खा रहे हैं। कोहिनूर का ड्रामा हो, ताज का बेसमेंट, या जैसलमेर का ढोल – हर कहानी में मज़ा भी है और रहस्य भी। अगली बार जब दादी से मिलो, तो पूछना, “दादी, आपके पास भी कोई सीक्रेट है क्या?” शायद वो बताएँ कि उनकी चटनी का राज़ क्या है – वो भी तो एक खज़ाना ही है! और हाँ, इनमें से कोई जगह घूमने जाओ तो सेल्फी भेजना मत भूलना – वरना दादी कहेंगी, “कहाँ गए थे, कुछ बताया भी नहीं!”

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