प्रकाश को फ्रीज करने की अद्भुत वैज्ञानिक खोज: क्वांटम भौतिकी में नई क्रांति

by eMag360

5 मार्च 2025 को इटली के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की, जिसने विज्ञान की दुनिया में हलचल मचा दी। इस दिन प्रतिष्ठित पत्रिका “नेचर” में प्रकाशित एक शोध में उन्होंने प्रकाश को “फ्रीज” करने की दिशा में अभूतपूर्व प्रयोग किया, जिसे सुपरसॉलिड (Supersolid) अवस्था में बदलने के रूप में देखा जा रहा है। यह खोज न केवल क्वांटम भौतिकी और ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित हो सकती है, बल्कि भविष्य में क्वांटम कंप्यूटिंग और सूचना संग्रहण के लिए भी नए द्वार खोल सकती है। आइए, इस शोध के बारे में विस्तार से जानते हैं।

प्रकाश को फ्रीज करना: क्या है यह प्रक्रिया?

प्रकाश, जो सामान्य रूप से निर्वात में 299,792 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा करता है, उसे स्थिर करना या उसकी गति को बेहद कम करना आसान नहीं है। लेकिन इटली के वैज्ञानिकों ने विशेष तकनीकों का उपयोग करके इसे संभव बनाया है। इस प्रयोग में प्रकाश को अति-ठंडे परमाणुओं के माध्यम से नियंत्रित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप इसकी गति को नाटकीय रूप से कम कर दिया गया। यह प्रक्रिया “इलेक्ट्रोमैग्नेटिकली इंड्यूस्ड ट्रांसपेरेंसी” (EIT) और बोस-आइंस्टीन कंडेंसेट (BEC) जैसी उन्नत तकनीकों पर आधारित है।

इस शोध में, वैज्ञानिकों ने गैलियम आर्सेनाइड जैसे सेमीकंडक्टर प्लेटफॉर्म का उपयोग किया और लेजर बीम की मदद से पोलारिटॉन (Polariton) नामक संकरित प्रकाश-पदार्थ कण उत्पन्न किए। जैसे-जैसे फोटॉन की संख्या बढ़ी, शोधकर्ताओं ने सुपरसॉलिड अवस्था के संकेत देखे। सुपरसॉलिड एक ऐसी अनोखी अवस्था है, जिसमें पदार्थ ठोस होने के साथ-साथ सुपरफ्लुइड (Superfluid) की तरह बिना घर्षण के प्रवाहित हो सकता है।

कैसे काम करता है यह प्रयोग?

इस प्रयोग में वैज्ञानिकों ने प्रकाश को अति-निम्न तापमान पर ठंडे परमाणुओं के बादल में प्रवेश कराया। इन परमाणुओं को लगभग शून्य केल्विन (-273.15 डिग्री सेल्सियस) के करीब ठंडा किया गया, जिससे वे बोस-आइंस्टीन कंडेंसेट की अवस्था में पहुंच गए। इस अवस्था में परमाणु एकसमान व्यवहार करने लगते हैं और प्रकाश के साथ संनादति (Resonance) करते हैं। परिणामस्वरूप, प्रकाश की गति कुछ मीटर प्रति सेकंड तक कम हो जाती है, जो इसे “फ्रीज” करने जैसा प्रभाव पैदा करता है।

इसके बाद, सेमीकंडक्टर संरचना में सूक्ष्म लकीरों का उपयोग करके फोटॉन को नियंत्रित किया गया। जैसे ही फोटॉन की संख्या बढ़ी, वैज्ञानिकों ने उपग्रह संघनकों (Satellite Condensers) को देखा, जो सुपरसॉलिडिटी का प्रमाण है। इन संघनकों ने समान ऊर्जा लेकिन विपरीत तरंग संख्याओं का प्रदर्शन किया, जिससे सुपरसॉलिड अवस्था की पुष्टि हुई।

इस खोज का महत्व

यह खोज कई कारणों से महत्वपूर्ण है:

  1. क्वांटम कंप्यूटिंग: प्रकाश को नियंत्रित करने की यह तकनीक क्वांटम सूचना प्रसंस्करण में तेजी ला सकती है।
  2. ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी: सुपरसॉलिड प्रकाश का उपयोग भविष्य में उन्नत ऑप्टिकल डिवाइस बनाने में हो सकता है।
  3. वैज्ञानिक समझ: यह प्रयोग प्रकाश और पदार्थ के बीच संबंधों को गहराई से समझने में मदद करता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अभी शुरुआत है। करीब शून्य तापमान पर क्वांटम प्रभावों को देखना और समझना वैज्ञानिकों के लिए एक नया क्षेत्र खोल रहा है।

भविष्य की संभावनाएं

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तकनीक का उपयोग भविष्य में डेटा स्टोरेज, संचार प्रणालियों और यहां तक कि ऊर्जा संरक्षण में भी किया जा सकता है। प्रकाश को सुपरसॉलिड में बदलने की यह प्रक्रिया न केवल विज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ा रही है, बल्कि तकनीकी नवाचारों के लिए भी आधार तैयार कर रही है।

निष्कर्ष

प्रकाश को “फ्रीज” करने की यह खोज, जो इटली के वैज्ञानिकों द्वारा 5 मार्च 2025 को प्रकाशित हुई, क्वांटम भौतिकी में एक मील का पत्थर है। यह हमें प्रकृति के मूलभूत नियमों को समझने और उन्हें तकनीक में बदलने की दिशा में एक कदम और करीब लाती है। जैसे-जैसे इस क्षेत्र में और शोध होगा, हम उम्मीद कर सकते हैं कि यह खोज मानव जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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