क्या “Milky Way” के केंद्र से हमसे “Hello” बोल रहे हैं एलियंस? जानिए क्या कहती है नयी स्टडी..
वैज्ञानिक हमारे जैसे रहने योग्य ग्रहों की संभावना के कारण वैज्ञानिक मिल्की वे गैलेक्सी के केंद्र पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि आकाशगंगा के केंद्र में बुद्धिमान प्रजातियां मौजूद हैं तो वे आकाशगंगा के केंद्र में अपनी स्थिति के कारण बहिर्ग्रहों की विस्तृत श्रृंखला के माध्यम से संकेत भेजना चाह सकते हैं, इन संकेतों को वे पल्स के रूप में भेज सकते हैं।।
इसी क्रम में वैज्ञानिक हमारी आकाशगंगा के केंद्र से निकलने वाले रेडियो बाइब्रेशन्स (पल्स) को ध्यान से सुन रहे हैं, ये नई जांच हमारी आकाशगंगा (मिल्की वे) के केंद्र में छिपे हुए एलियंस पर केंद्रित है।
तारे संकीर्ण आवृत्ति वाले बाइब्रेशन्स (पल्स) का उत्सर्जन करते हैं, इसलिए उन्हें पल्सर भी कहा जाता है, लेकिन दूसरी ओर मनुष्य उन्हें रडार के रूप में उपयोग करते हैं। अंतरिक्ष की पृष्ठभूमि में रेडियो नॉइस के खिलाफ खड़े होने के लिए ये पल्स काफी सक्षम हैं, इसलिए इसको लंबी दूरी से प्रभावी ढंग से संचार करना आसान है। वैज्ञानिक इसे एलियंस सभ्यताओं का पता लगाने एक अच्छा विकल्प मानते हैं।
एलियन सभ्यताओं का पता लगाने के लिए यह प्रयोग कॉर्नेल विश्वविद्यालय में अक्षय सुरेश द्वारा विकसित एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया गया था, जिसमें विभिन्न दोहराव आवृत्ति पैटर्न का पता लगाया गया था, जिन्हें ज्ञात पल्सर पर परीक्षण किया गया था जो संकीर्ण आवृत्तियों को चुनने के लिए एकदम सही हैं।
सह-लेखक और परियोजना वैज्ञानिक स्टीव क्रॉफ्ट कहते हैं, “ब्रेकथ्रू लिसन भारी मात्रा में डेटा कैप्चर करता है, और अक्षय की तकनीक हमें सुइयों के लिए उस घास के ढेर को खोजने में मदद करने के लिए एक नई विधि प्रदान करती है जो उन्नत अलौकिक जीवन रूपों के आकर्षक साक्ष्य प्रदान कर सकती है”।