क्रूरता का सुल्तान औरंगजेब: टोपी सिलता था, पर किसका सर काटता था?”

by eMag360

औरंगजेब, पूरा नाम अबुल मुजफ्फर मुही-उद-दीन मोहम्मद औरंगजेब आलमगीर, मुगल साम्राज्य का वो छठा बादशाह था जिसने 1658 से 1707 तक हिंदुस्तान पर हुकूमत की। लोग कहते हैं कि औरंगजेब इतना क्रूर था कि अगर वो आज का टीचर होता, तो “हॉमवर्क नहीं किया?” बोलकर पूरी क्लास को डिटेंशन दे देता—वो भी बिना छुट्टी के! अगर मुगल बादशाहों में “पार्टी एनिमल” का अवॉर्ड होता, तो औरंगजेब शायद उस लिस्ट में आखिरी नंबर पर होता—या शायद लिस्ट में ही नहीं होता! उसकी जिंदगी में “मजा” शब्द गायब था, और उसने इसे सुनिश्चित किया कि बाकी लोगों की जिंदगी से भी “मजा” गायब रहे।


परिवार पर क्रूरता: भाईचारा? वो क्या चीज है!

औरंगजेब की क्रूरता की शुरुआत अपने घर से हुई। अपने पिता शाहजहां को उसने 1658 में बीमारी के दौरान आगरा के किले में कैद कर दिया। शाहजहां, जो ताजमहल बनवाकर प्यार की मिसाल कायम कर रहा था, उसे बेटे ने कहा, “पापा, अब ताजमहल सिर्फ खिड़की से देखो—और वो भी जेल की!” अपने बड़े भाई दारा शिकोह को उसने जंग-ए-पानीपत (1658) में हराया और उसका सर कटवाकर थाल में पिता को “गिफ्ट” किया। बाकी भाइयों—शाह शुजा और मुराद बख्श—का भी ऐसा हाल किया कि वो या तो भाग गए या खत्म हो गए। मजाक में कहें तो औरंगजेब ने “फैमिली गेट-टुगेदर” को “फैमिली गेट-आउट” में बदल दिया। उसकी बहनें भी उससे नाराज रहती थीं, क्योंकि उसने अपने भतीजों को भी नहीं बख्शा—शायद सोचता हो, “खानदान में कोई कॉम्पिटिशन नहीं चाहिए!”


सख्ती का आलम :

औरंगजेब को मजा-मस्ती से सख्त नफरत थी। उसने संगीत, नृत्य और शराब पर पाबंदी लगा दी। लोग मजाक में कहते हैं कि अगर औरंगजेब आज के जमाने में होता, तो वो शायद नेटफ्लिक्स को भी बैन कर देता, कहता, “ये सब समय की बर्बादी है, नमाज पढ़ो!” उसने अपनी सादगी के लिए खुद को “जिंदा पीर” कहलवाया, यानी एक जिंदा संत। वो टोपी सिलकर अपनी रोजी-रोटी भी चलाता था। अब सोचिए, एक बादशाह जो दिन में तलवार चलाता हो और रात में सुई-धागा—कितना मल्टीटास्किंग टैलेंट!


दुश्मनों पर क्रूरता :

औरंगजेब की क्रूरता सिर्फ परिवार तक नहीं रुकी। मराठा सरदार संभाजी, शिवाजी महाराज के बेटे, को उसने 1689 में पकड़ा और ऐसी सजा दी कि सुनकर ही लोग कांप जाएं—पहले आंखें निकालीं, फिर जीभ काटी, और आखिर में सर कलम। सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर, को भी उसने 1675 में दिल्ली में फांसी दिलवाई, क्योंकि वो कश्मीरी पंडितों के लिए औरंगजेब के खिलाफ खड़े हुए।


धार्मिक क्रूरता : जजिया से मंदिर तक का सफर

औरंगजेब की धार्मिक नीतियां भी उसकी क्रूरता का बड़ा सबूत थीं। उसने गैर-मुस्लिमों पर जजिया टैक्स फिर से शुरू किया—यानी “अलग मजहब, तो जेब ढीली करो, वरना फौज तैयार है!” उस पर कई मंदिर तोड़ने का इल्जाम है—काशी विश्वनाथ, मथुरा का केशवदेव मंदिर, और सोमनाथ मंदिर इसके बड़े उदाहरण हैं। लोग मजाक करते हैं कि औरंगजेब शायद सोचता था, “मंदिर तोड़ो, मस्जिद बनाओ, और कहो—ये तो बस रेनोवेशन है!” उसने हिंदुओं के त्योहारों पर भी रोक लगाई—like होली और दीवाली पर पाबंदी। सोचिए, अगर औरंगजेब आज होता, तो शायद कहता, “पटाखे मत फोड़ो, नमाज़ पढ़ो, और मेरी टोपी खरीदो!”


जनता पर क्रूरता: सख्ती का ओवरडोज

औरंगजेब ने अपनी प्रजा को भी नहीं बख्शा। उसने संगीत, नृत्य, और शराब पर बैन लगा दिया। कहते हैं कि उसने एक बार संगीतकारों को जुलूस निकालकर “दफन” करने का हुक्म दिया—यानी “संगीत मर गया” का ड्रामा करवाया। लोग मजाक में कहते हैं कि अगर औरंगजेब आज होता, तो शायद वो TikTok और Instagram को भी बैन कर देता, कहता, “ये सब बेकार की चीजें हैं, कुरान पढ़ो!” उसने टैक्स इतने बढ़ा दिए कि किसान और व्यापारी परेशान हो गए। शायद उसका मंत्र था, “जितना टैक्स, उतना सम्मान!”


क्रूरता के किस्से :

  • औरंगजेब इतना सख्त था कि उसकी फौज में हाथी, घोड़े और ऊंट थे, लेकिन लोग मजाक करते हैं कि औरंगजेब की सख्ती देखकर शायद जानवर भी डरते होंगे कि कहीं उन पर भी कोई फरमान न लागू हो जाए!
  • वो टोपी सिलकर अपनी कमाई करता था, लेकिन लोग कहते हैं कि शायद दुश्मनों से कहता हो, “टोपी खरीदो, वरना सर काट लूंगा—चॉइस तुम्हारी!”
  • उसने अपने बेटे अकबर को भी विद्रोह करने पर कैद करने की कोशिश की। लोग कहते हैं कि औरंगजेब का पारिवारिक नियम था, “प्यार करो, लेकिन जेल तैयार रखो!”
  • कहते हैं कि औरंगजेब इतना क्रूर था कि उसकी बीवियां भी उससे डरती थीं। शायद हरम में भी वो फरमान सुनाता हो, “रोमांस बंद, नमाज शुरू!”
  • लोग कहते हैं औरंगजेब का पारिवारिक रियूनियन शायद जेल की सलाखों के पीछे ही मुमकिन था।

औरंगजेब की क्रूरता का अंतिम अध्याय :

औरंगजेब ने अपने आखिरी दिन अहमदनगर में बिताए और 1707 में 88 साल की उम्र में मर गया। मरने से पहले उसने अपने बेटों को खत लिखा, “मैंने सख्ती की, गलतियां कीं, अब तुम संभालो।” लेकिन उसकी क्रूरता का नतीजा ये हुआ कि मुगल साम्राज्य उसके बाद बिखरने लगा। उसकी कब्र औरंगाबाद में एक सादा ढांचा है—कोई ताजमहल जैसा ठाठ नहीं। लोग मजाक करते हैं कि औरंगजेब शायद सोचता हो, “जिंदगी में मजा नहीं किया, मरने के बाद भी सादगी ही ठीक है!”


क्रूरता का एक और पहलू: सेना और जंग

औरंगजेब ने अपनी क्रूरता को जंग के मैदान में भी दिखाया। उसने दक्कन में मराठों के खिलाफ 25 साल तक जंग लड़ी, लेकिन जीत पूरी नहीं हुई। उसकी फौज में लाखों सैनिक थे, लेकिन उसकी सख्ती की वजह से कई बार बगावत भी हुई। लोग कहते हैं कि औरंगजेब की सेना में शामिल होने का मतलब था, “या तो दुश्मन मरेगा, या तुम—बीच का रास्ता नहीं!”


औरंगजेब एक ऐसा बादशाह था जिसकी क्रूरता की मिसालें इतिहास में भरी पड़ी हैं। परिवार हो, दुश्मन हों, या प्रजा—किसी को उसने नहीं बख्शा। मजाक में कहें तो वो शायद सोचता था, “हंसना हराम है, टैक्स दो, और मेरे नियम मानो!” लेकिन जानकारी की नजर से देखें, तो उसकी क्रूरता ने उसे ताकत तो दी, पर साम्राज्य को कमजोर भी कर दिया। तो अगली बार जब कोई कहे, “औरंगजेब जैसा बनो,” तो बस हंस देना और कहना, “भाई, थोड़ा चिल भी कर लो—जिंदगी जेल नहीं है!”

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